संजय सिद्धार्थी - एक विविधतापूर्ण प्रतिभा के धनी

संजय सिद्धार्थि, इंदौर के निवासी, एक विद्वान शिक्षक हैं जिन्होंने शास्त्री एवं साहित्याचार्य (जगद्गुरु रमानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्व विद्यालय जयपुर से ) , शिक्षा शास्त्री (श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली से ) एम.ए. हिन्दी ( देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय इंदौर से ) तक उच्च शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में, वे इंदौर में रहकर जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।

hame kyo chune

संजय जी ने 2015 में विश्व की पहली ऑनलाइन जैन बाल पाठशाला की स्थापना की, जो जैन धर्म की शिक्षाओं को डिजिटल माध्यम से फैलाने का एक नवीन प्रयास है।

उनकी विशेषज्ञता विभिन्न प्रकार के खेलों के निर्माण, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, धार्मिक कविताओं और भजनों की रचना, और बाल संस्कार शिविरों के आधुनिक तरीकों से संचालन में है। संस्कृत के जैन ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद सिखाने में भी उनकी पारंगतता है।

उन्होंने “मम्मी की पाठशाला“ नामक एक अनूठी लर्निंग किट तैयार की है, जिसे पढ़ते समय बच्चे विद्यालय के पाठ्यक्रम के अनुरूप शिक्षा का आनंद उठा सकते हैं।

संजय जी ने बच्चों के लिए विभिन्न खेल भी बनाए हैं, जिन्हें बच्चे अकेले, समूह में या परिवार के साथ खेल सकते हैं।

जैन विधि से विधान, विवाह, और गृह प्रवेश आदि कराने में उनकी विशेषज्ञता है। उन्होंने नगरों में विभिन्न मंदिरों में पाठशालाओं का ऑफलाइन और ऑनलाइन संचालन किया है और गीता भवन गुरुकुल का संचालन भी करते हैं।

संजय सिद्धार्थि जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में अपनी गहरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। वे जैन दर्शन और इसके मूल्यों को आम जन तक पहुँचाने के लिए अथक प्रयास करते हैं।

'मम्मी की पाठशाला' और अन्य लर्निंग किट्स के माध्यम से, उन्होंने बच्चों के लिए शिक्षा को न केवल रोचक बनाया है, बल्कि इसे अधिक प्रभावी और सुगम भी बनाया है। उनकी ये पहलें बच्चों को खेल-खेल में सीखने का अवसर प्रदान करती हैं।

गीता भवन गुरुकुल के संचालन के माध्यम से, संजय जी ने शास्त्री विद्वानों के लिए एक सहायक और समर्थक परिवेश प्रदान किया है। उनका यह प्रयास शिक्षा और धार्मिक ज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

संजय सिद्धार्थि का मानना है कि शिक्षा और धर्म का प्रचार-प्रसार समाज को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण है। वे अपने कार्य के माध्यम से बच्चों और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में सतत प्रयासरत हैं।

संजय सिद्धार्थि इंदौर में एक प्राइवेट विद्यालय में शिक्षक होने के साथ-साथ 'शुद्धम् केला चिप्स एवं चिवड़ा भंडार' के सफल संचालक भी हैं।

उनके व्यापार 'शुद्धम् केला चिप्स एवं चिवड़ा भंडार' के माध्यम से वे जैन विधि से निर्मित खाद्य वस्तुएं लोगों को प्रदान करते हैं।

Connect With Us Now

यदि आप पाठशाला सामग्री, कविताएं, बच्चों के धार्मिक खेल, मंचीय सांस्कृतिक कार्यक्रम,आकर्षक तरीके से धार्मिक शिविर संचालन, विभिन्न प्रतियोगिताएं, पाठशाला संचालन, विधि विधान कराना, धार्मिक ग्रंथों का अर्थ निकालना सीखना चाहते हैं तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं

आपके सहयोग की प्रतीक्षा है -

DSC_0400

जैन धर्म की शिक्षाओं को आधुनिक तरीके से बच्चों तक पहुँचाना, उनमें संस्कारित ज्ञान का दीप प्रज्वलित करना - यही हमारा मिशन है।